UPPSC Protest: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आंदोलन अब गंभीर रूप धारण कर चुका है। छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के बाद आंदोलन और उग्र हो गया है। पुलिस द्वारा चार छात्रों की गिरफ्तारी के बाद गुस्साए छात्रों ने आयोग तक पहुंचने के लिए बैरिकेड तोड़ दिए और वहां जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस ने आयोग के सभी रास्तों को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया था और सैकड़ों पुलिसकर्मियों को तैनात किया था, लेकिन छात्रों का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने पुलिस की दो-स्तरीय बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए आयोग तक पहुंचने में सफलता हासिल की।
पुलिस और छात्रों के बीच की स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि पुलिस कर्मियों ने कुछ छात्रों के साथ बुरा व्यवहार किया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई और पुलिस के साथ छात्रों का टकराव हो गया।
एक दिन की परीक्षा प्रणाली की बहाली की मांग
प्रदर्शनकारी छात्र सोमवार से लगातार आयोग के सामने इस मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं कि पीसीएस और आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजित की जाए। इसके साथ ही छात्रों ने नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को रद्द करने की भी मांग की है। छात्रों का कहना है कि परीक्षा के वर्तमान प्रारूप से उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
गुरुवार सुबह की घटना ने इस आंदोलन को और भी प्रचंड बना दिया। पुलिस द्वारा छात्रों की गिरफ्तारी और उनके साथ किए गए अनुचित व्यवहार के बाद छात्रों में भारी आक्रोश था। उन्होंने इसे “अपहरण” करार दिया और चेतावनी दी कि अगर गिरफ्तार छात्रों को जल्द रिहा नहीं किया गया, तो वे अपना आंदोलन और भी बड़ा करेंगे।
पुलिस की बढ़ती कार्रवाई और छात्रों का जवाब
पुलिस की कार्रवाई के बावजूद छात्र लगातार आयोग के बाहर जमा हो रहे हैं। जब पुलिस ने फिर से दो-स्तरीय बैरिकेडिंग की थी, तो छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया। पांच मिनट के अंदर छात्रों ने बैरिकेड तोड़ते हुए आयोग के अंदर दाखिल होने की कोशिश की। छात्रों का कहना है कि वे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे।
इस बीच, पुलिस ने छात्रों की बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, डीसीपी और एसीपी भी मौके पर पहुंचे, ताकि सुरक्षा व्यवस्था को संभाल सकें। लेकिन छात्रों के बढ़ते आक्रोश के सामने पुलिस की सारी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं।
प्रशासन की अपील का असर नहीं
इस आंदोलन को शांत करने के लिए बुधवार रात को डिविजनल कमिश्नर विजय विश्वास पंत, पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा और जिला मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार मंडहड़ ने छात्रों से बात करने का प्रयास किया। प्रशासन ने छात्रों से आंदोलन खत्म करने की अपील की और यह भरोसा दिलाया कि मामला सुलझाया जा सकता है। हालांकि, छात्रों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे तब तक आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे जब तक कि आधिकारिक आदेश के तहत एक दिन की परीक्षा प्रणाली बहाल नहीं की जाती और नॉर्मलाइजेशन को रद्द नहीं किया जाता।
छात्रों और प्रशासन के बीच यह वार्ता करीब 30 मिनट तक चली, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। दोनों पक्षों के बीच मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
संघर्ष को “प्रचंड” रूप देने की घोषणा
अब छात्रों ने यह तय किया है कि वे इस संघर्ष को “प्रचंड” रूप देंगे। इसके तहत छात्रों ने आंदोलन के प्रतीक के रूप में मशहूर गीत “आरंभ है प्रचंड” का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। छात्रों ने आयोग के बाहर लाउडस्पीकर लगाए और इस गीत की धुन पर अपना विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि यह संघर्ष उनके भविष्य की रक्षा के लिए है और वे इसे किसी भी हालत में कमजोर नहीं होने देंगे।
छात्रों ने यह भी कहा कि इस निर्णय से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका “प्रचंड” आंदोलन जारी रहेगा।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर चल रहे इस संघर्ष ने एक गंभीर रूप ले लिया है। छात्र अपनी अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क पर उतर आए हैं और वे किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद छात्र अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं। यह आंदोलन न केवल छात्रों के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है। आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी उग्र हो सकता है, यदि छात्रों की मांगों पर गंभीर ध्यान नहीं दिया गया।