Ghaziabad News: गाजियाबाद में चल रहे वकीलों के आंदोलन ने सोमवार (11 नवंबर) से नया मोड़ ले लिया है। गाजियाबाद बार एसोसिएशन की अपील पर अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के वकील दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक सड़क जाम करेंगे। गाजियाबाद जिला मुख्यालय के सामने भी बार एसोसिएशन द्वारा सड़क को जाम करने की योजना बनाई गई है। इस दौरान वकीलों के विरोध को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
मामला क्या है?
यह मामला पिछले महीने 29 अक्टूबर का है जब गाजियाबाद में एक वकील और जिला जज के बीच विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिसके बाद वकीलों में आक्रोश फैल गया और तब से वे आंदोलन कर रहे हैं। अब तक गाजियाबाद बार एसोसिएशन के वकील कोर्ट में हड़ताल करके शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे थे। लेकिन सोमवार से इस आंदोलन की जगह और स्वरूप में बदलाव आया है।
दोपहर 12 से 2 बजे तक सड़क जाम का ऐलान
सोमवार से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के वकील प्रतिदिन दोपहर 12 से 2 बजे तक सड़क जाम करेंगे। इस दौरान वकील किसी भी प्रकार का कार्य नहीं करेंगे। गाजियाबाद में यह सड़क जाम जिला मुख्यालय के बाहर किया जाएगा। गाजियाबाद बार एसोसिएशन से जुड़े वकील जिला जज के तबादले और वकीलों पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन में शामिल जिले
इस आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, मैनपुरी, अमरोहा, रामपुर, मुरादाबाद, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, सम्भल, एटा और बिजनौर जिलों के वकील शामिल हैं। इन जिलों के वकील प्रतिदिन 12 बजे से 2 बजे तक सड़क जाम करेंगे और यह प्रदर्शन 16 नवंबर तक जारी रहेगा।
16 नवंबर को महापंचायत का आयोजन
16 नवंबर को इस आंदोलन का एक महत्वपूर्ण मोड़ आएगा, जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के वकील एक महापंचायत का आयोजन करेंगे। इस महापंचायत में सभी जिलों के वकील एकत्र होंगे और इसके बाद आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी। यह महापंचायत आंदोलन को और अधिक व्यापक रूप दे सकती है और वकीलों की मांगों को और भी सशक्त तरीके से प्रस्तुत करने में सहायक होगी।
वकीलों की मांगें और आंदोलन का उद्देश्य
वकील इस आंदोलन के माध्यम से दो प्रमुख मांगें रख रहे हैं: जिला जज का तबादला और लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई। उनका कहना है कि वकीलों पर इस तरह के अत्याचार बर्दाश्त नहीं किए जा सकते और वे न्याय की लड़ाई के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उनका मानना है कि उनके संघर्ष का उद्देश्य न केवल अपनी मांगों को पूरा करवाना है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना भी है।
प्रशासन की तैयारी और कानून व्यवस्था
वकीलों के आंदोलन को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी या हिंसा की स्थिति से निपटा जा सके। प्रशासन की ओर से भी स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां की गई हैं। प्रशासन इस बात की भी कोशिश कर रहा है कि आंदोलन के दौरान आम जनता को असुविधा न हो।
वकीलों का यह आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में फैल चुका है और उनके तेवर लगातार सख्त होते जा रहे हैं। महापंचायत के आयोजन के बाद आंदोलन की दिशा और गति दोनों में बदलाव आ सकता है। वकीलों का यह आंदोलन न केवल उनके हक और न्याय के लिए है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि कानून और व्यवस्था की रक्षा करने वाले स्वयं के अधिकारों के लिए भी संगठित होकर लड़ सकते हैं।