Gorakhpur News: नेपाल में वर्ष 2015 में आए भूकंप के बाद संक्रामक रोगों का प्रकोप तेजी से बढ़ा। हैजा, स्क्रब टाइफस, जापानी इंसेफलाइटिस, मलेरिया जैसे बीमारियों के फैलने से लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। भूकंप का स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा, जिससे इन रोगों का समय पर निदान करने में भी देरी हुई। हाल ही में 2023 में नेपाल में आए भूकंप के बाद भी संक्रामक रोगों का प्रसार देखा गया।
नेपाल के इस आपदा के बाद संक्रामक रोगों के प्रसार पर गोरखपुर, पुणे और इराक के एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञों ने अध्ययन किया। यह अध्ययन ‘द इजिप्टियन जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन’ में प्रकाशित हुआ है। नेपाल से सटे होने के कारण गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र भी भूकंप जोन चार में आते हैं। इसका भूगोलिक स्थान बाढ़, बिजली गिरने और सूखे की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है। अध्ययन के आधार पर जल की उपलब्धता, सफाई आदि पर जागरूकता अभियानों को तेज करने की बात कही गई है।
प्रतिवर्ष आते हैं 10 लाख से अधिक भूकंप
दुनिया में प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक भूकंप आते हैं। पिछले 25 वर्षों में भूकंप के कारण 5 लाख 30 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। 20 वर्षों के आपदा विश्लेषण से पता चलता है कि कुल 552 भूकंप वैश्विक स्तर पर हुई आपदाओं का 8 प्रतिशत हैं। कुल 2043 तूफानों की घटनाएं सभी आपदाओं का 28 प्रतिशत हैं। कुल 3254 बाढ़ की घटनाएं 44 प्रतिशत हैं। नेपाल भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की सीमाओं पर स्थित है, जो इसे भूकंप के लिए एक सक्रिय क्षेत्र बनाता है। नेपाल का भूकंपों का लंबा इतिहास रहा है और यह दुनिया के सबसे अधिक भूकंपीय गतिविधियों वाले क्षेत्रों में से एक है। नेपाल में पहला भूकंप 7 जून, 1255 को दर्ज किया गया था जब वहां के राजा अभय मल्ल थे।
वर्ष 2015 में 8856 मौतें हुईं
नेपाल में 2015 में शताब्दी का सबसे बड़ा भूकंप आया था। इसमें 22,309 लोग घायल हुए और 8856 की मौत हुई। सबसे अधिक प्रभावित जिला सिंधुपालचोक था, जहां 3532 लोगों की मृत्यु हुई। नेपाल की राजधानी काठमांडू में 1226 लोगों की मृत्यु हुई थी।
इन बीमारियों का प्रकोप अधिक हुआ
अध्ययन में पाया गया कि भूकंप के बाद श्वसन और वेक्टर जनित बीमारियां अधिक पाई गईं। पेट से जुड़ी बीमारियां, खसरा, इंसेफलाइटिस आदि भी तेजी से बढ़े। काठमांडू में 76 मामलों में तीव्र जल प्रवाही दस्त (एक्यूट वॉटरी डायरिया) के मामले दर्ज किए गए, जिन्हें हैजा का कारण माना गया। हैजा का पहला मामला 30 जून, 2016 को प्रमाणित हुआ था।
इसी वर्ष स्क्रब टाइफस के मामलों में वृद्धि हुई और यह 47 जिलों में फैल गया। साल के अंत तक 831 मामलों में से 14 लोगों की मृत्यु हो गई। इसके बाद नेपाल में स्क्रब टाइफस के 1435 मामले दर्ज किए गए। आपदा के एक वर्ष बाद किए गए एक सर्वेक्षण में नेपाल के प्रभावित जिलों के बच्चों में श्वसन संक्रमण और दस्त की शिकायत पहले की तुलना में अधिक देखी गई।
सिफारिशें
इस अध्ययन के आधार पर निम्नलिखित सिफारिशें की गई हैं:
- रोग निगरानी और प्रकोप नियंत्रण के लिए प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया प्रणाली – प्रत्येक प्रभावित जिले में एक ऐसी प्रणाली बनानी चाहिए जो संक्रामक रोगों का तेजी से पता लगाने में सहायक हो।
- केंद्रीय निगरानी टीम को दैनिक रोग रिपोर्टिंग – रोजाना की बीमारियों के आंकड़े केंद्र में भेजे जाने चाहिए ताकि सही आंकलन और समय पर समाधान किया जा सके।
- रैपिड रिस्पॉन्स टीम बनाना – रोग संबंधी अलर्ट पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया टीमों का गठन करना चाहिए।
- प्रभावित जनसंख्या को आपात स्थिति के लिए जागरूक करना – लोगों को शिक्षित करना कि आपात स्थितियों में स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करें और जल-जनित रोगों से कैसे बचें।
- सफाई बनाए रखना – हाथ धोने की आदत को बढ़ावा देना और जल शुद्ध करने वाले एजेंटों के उपयोग की जानकारी देना।
- संक्रमित घरों में जल शुद्धीकरण एजेंटों की आपूर्ति – जिन घरों में संक्रमण का खतरा अधिक है, वहां शुद्ध जल का प्रबंध करना आवश्यक है।
- स्वच्छता के लिए अस्थायी शौचालयों का पुनर्निर्माण – स्वच्छता बनाए रखने के लिए अस्थायी शौचालयों का पुनर्निर्माण करना चाहिए ताकि बीमारियों को फैलने से रोका जा सके।
- टाइफॉयड, जापानी इंसेफलाइटिस, टेटनस और खसरा के खिलाफ टीकाकरण – टीकाकरण के माध्यम से लोगों को इन बीमारियों से सुरक्षित रखने की कोशिश करनी चाहिए।
गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों के लिए चेतावनी
नेपाल से सटे हुए होने के कारण गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र भी भूकंप, बाढ़ और संक्रामक रोगों की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि यहां के स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक इकाइयों को सजग रहना चाहिए और इस अध्ययन की सिफारिशों का पालन करते हुए आपदा प्रबंधन को मजबूत बनाना चाहिए।
भूकंप के बाद स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना को बढ़ा देता है। नेपाल में आए भूकंपों के बाद संक्रामक रोगों के प्रसार ने यह साफ कर दिया है कि इस तरह की आपदाओं के बाद तुरंत स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है। गोरखपुर जैसे क्षेत्रों में भी इस खतरे के प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए और समय रहते आवश्यक उपाय करने चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े।