Noida के कुख्यात अपराधी और गैंगस्टर सुंदर भाटी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उसके भतीजे अनिल भाटी को भी जमानत मिल गई है। इस रिहाई के बाद दोनों के गैंग में गतिविधियां तेज हो गई हैं, जिससे नोएडा पुलिस की चुनौतियां बढ़ गई हैं और संभावित गैंगवार की आशंका को लेकर अलर्ट जारी किया गया है।
कौन हैं सुंदर और अनिल भाटी?
सुंदर भाटी और अनिल भाटी, जो ग्रेटर नोएडा के घंघोला गांव के निवासी हैं, चाचा-भतीजे के रिश्ते में हैं। अनिल, सुंदर भाटी के बड़े भाई सहदेव भाटी का बेटा है। दोनों का नाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपराध की दुनिया में जाना-पहचाना है और दोनों पर कई संगीन मामले दर्ज हैं। हत्या, अवैध वसूली और जानलेवा हमले जैसे 60 से अधिक मामले सुंदर भाटी के खिलाफ दर्ज हैं।
गैंग के सदस्यों की बढ़ती सक्रियता, पुलिस की चुनौती
ऐसा कहा जा रहा है कि इन दोनों की रिहाई के बाद से दादरी में इस गैंग से जुड़े बड़े माफिया सदस्य, जो पुलिस की कार्यवाही और रवि काना गैंग के डर से दुबई चले गए थे, अब वापस लौट आए हैं। इन गतिविधियों से पुलिस पर दबाव बढ़ गया है, क्योंकि गैंग के सदस्य अब और अधिक सक्रिय हो गए हैं और पुलिस को संभावित गैंगवार के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
सुंदर भाटी पर लगे थे गंभीर आरोप
सुंदर भाटी को पहले रवि काना जैसे स्क्रैप माफिया की पैरवी पर 11 अन्य अपराधियों के साथ हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बावजूद, जमानत मिलने के बाद पुलिस की जांच-पड़ताल और कार्यवाही पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि वह सुंदर और अनिल भाटी के हर कदम पर निगरानी रख रही है, लेकिन इनकी बढ़ती गतिविधियां उनकी चिंता बढ़ा रही हैं।
जेल में अनिल भाटी का स्थानांतरण और रिहाई
अगस्त 2024 में ही अनिल भाटी को जिला जेल से अंबेडकर नगर जिला जेल में स्थानांतरित किया गया था। बताया जा रहा है कि रिहा होने के बाद अनिल अपने चाचा सुंदर भाटी से मिलने दिल्ली गया था और उसके बाद वह ग्रेटर नोएडा पहुंचा। पुलिस फिलहाल यह जानने की कोशिश कर रही है कि अनिल वर्तमान में कहां है और वह किन गतिविधियों में लिप्त है।
अनिल पर बीजेपी नेता की हत्या का आरोप
अनिल भाटी पर 16 नवंबर 2017 को बीजेपी नेता शिव कुमार सहित तीन लोगों की हत्या करवाने का आरोप है। कहा जाता है कि अनिल ने तिगरी गोलचक्कर के पास अपने गुर्गों के जरिए इन हत्याओं को अंजाम दिया था। एसटीएफ ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया था कि अनिल ने पैसे लेकर बीजेपी नेता की हत्या के लिए शूटरों की व्यवस्था की थी।
हत्या के लिए शूटरों का इंतजाम
हत्या की साजिश के लिए अनिल भाटी को एक युवक अरुण ने 50 लाख रुपये का ठेका दिया था। अरुण का मानना था कि 2004 में शिव कुमार ने उसके पिता की हत्या की थी, जिसके बाद बदला लेने के लिए अरुण ने शिव कुमार की हत्या की योजना बनाई। इस हत्याकांड में अनिल ने तीन शार्प शूटरों का इंतजाम किया था, जिनमें नरेश तेवतिया मुख्य शूटर था।
जिलाधिकारी ने लगाया था एनएसए
अनिल भाटी पर बढ़ती आपराधिक घटनाओं को देखते हुए, उस समय के जिलाधिकारी ने उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाया और उसे जेल भेज दिया था। अनिल के खिलाफ डकैती, हत्या, गैंगस्टर एक्ट जैसी गंभीर धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद, हाल ही में उसे भी जमानत मिल गई है, जिससे नोएडा में कानून व्यवस्था पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
पुलिस की चुनौतियां और संभावित खतरे
नोएडा पुलिस के लिए सुंदर और अनिल भाटी का रिहा होना एक बड़ी चुनौती है। इन दोनों के बाहर आने के बाद इनके गैंग के सदस्यों की सक्रियता बढ़ गई है, जिससे इलाके में गैंगवार की स्थिति पैदा होने की आशंका है। पुलिस द्वारा संभावित गैंगवार के मद्देनजर अलर्ट जारी कर दिया गया है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
चाचा-भतीजे की इस जोड़ी ने ना केवल नोएडा पुलिस की चुनौतियां बढ़ाई हैं, बल्कि क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों के बढ़ने की संभावना को भी जन्म दिया है। इस मामले में पुलिस और सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि अपराधियों के आतंक से आम जनता सुरक्षित रह सके। पुलिस की निगरानी और त्वरित कार्यवाही से ही इस तरह के अपराधी तत्वों पर लगाम लगाई जा सकती है, ताकि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनी रहे।