Ramgarhtal Boating: गोरखपुर के रमणीय रामगढ़ताल में बोटिंग का आनंद लेने वाले पर्यटकों के लिए एक निराशाजनक खबर है। फिलहाल रामगढ़ताल झील में बोटिंग का आकर्षण बंद है, और इसका प्रमुख कारण बोटिंग संचालन के ठेके को लेकर उत्पन्न विवाद है। रामगढ़ताल विकास प्राधिकरण (GDA) द्वारा प्लेटफॉर्म नंबर एक से बोटिंग के संचालन के लिए निविदाएं बुलाई गई थीं, लेकिन अब तक किसी भी निविदा में सफल ठेकेदार आगे नहीं आ पाया है। GDA ने इस संबंध में अंतिम नोटिस जारी किया है, जिसकी समय-सीमा 26 अक्टूबर को समाप्त हो गई है। अब GDA इस मामले में अंतिम निर्णय लेने की तैयारी में है।
बोटिंग ठेके को लेकर प्रक्रिया और विवाद
GDA ने प्लेटफॉर्म नंबर एक से बोटिंग के अधिकार देने के लिए निविदाएं मंगवाई थीं। इस ठेके का आधार मूल्य 1 लाख 10 हजार रुपये रखा गया था। पिछली बार, बोट संचालित करने वाली कंपनी प्रति माह 2.5 लाख रुपये से अधिक का किराया अदा करती थी। इस वर्ष निविदा में जब पहली बार बोली लगाई गई तो एक फर्म ने 1 लाख 70 हजार रुपये की बोली लगाकर ठेका प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन GDA ने इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया।
इसके बाद दूसरी बार निविदा प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें सबसे ऊंची बोली 18 लाख 60 हजार रुपये की लगी। लेकिन समस्या तब उत्पन्न हुई जब इस बोली को जीतने वाली फर्म ने ठेका नहीं लिया। GDA के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने बताया कि फर्म को कई बार ठेके की समय-सीमा बढ़ाने का मौका दिया गया, लेकिन फर्म ने ठेके के लिए कदम नहीं बढ़ाया। इसी को देखते हुए GDA ने उन्हें अंतिम नोटिस जारी कर दिया, जिसका समय 26 अक्टूबर को समाप्त हो गया है।
स्थानीय पर्यटकों की प्रतिक्रिया
रामगढ़ताल में बोटिंग का आकर्षण यहां के पर्यटकों के लिए हमेशा से खास रहा है। गोरखपुर के साथ-साथ आसपास के शहरों से भी लोग यहां झील की सुंदरता का लुत्फ उठाने आते हैं। स्थानीय लोग और पर्यटक इस स्थिति से निराश हैं और चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस विवाद का हल निकाला जाए, ताकि वे बोटिंग का आनंद फिर से ले सकें। कई पर्यटकों ने बताया कि बोटिंग बंद होने के कारण रामगढ़ताल की रौनक फीकी पड़ गई है, और यहां आने वाले पर्यटक भी निराश होकर वापस लौट रहे हैं।
GDA का कदम और भविष्य की संभावनाएं
GDA ने अपनी ओर से फर्म को सभी आवश्यक जानकारी और समय दिया है, ताकि वह ठेका ले सके और काम शुरू कर सके। लेकिन इस देरी के कारण GDA अब वैकल्पिक विकल्पों पर विचार कर रहा है। GDA के अधिकारियों का मानना है कि झील में बोटिंग फिर से शुरू करने के लिए अन्य इच्छुक कंपनियों को भी मौका दिया जा सकता है। हालांकि, GDA इस मामले में जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहता और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उचित कदम उठाने का प्रयास कर रहा है।
GDA के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने बताया कि संस्था का उद्देश्य झील में पर्यटकों को आकर्षित करना और शहर की आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देना है। इसलिए, वे उम्मीद कर रहे हैं कि किसी अन्य फर्म को इस ठेके का अवसर देने से बोटिंग का संचालन फिर से सुचारू रूप से किया जा सकेगा।
स्थानीय व्यापारियों पर असर
रामगढ़ताल के आसपास के दुकानदारों और व्यापारियों के लिए भी यह स्थिति चिंता का विषय बन गई है। बोटिंग बंद होने से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई है, जिससे स्थानीय व्यापार पर भी असर पड़ा है। पास के रेस्तरां, चाय की दुकानें और अन्य छोटे व्यवसाय भी इस स्थिति से प्रभावित हैं। दुकानदारों ने उम्मीद जताई है कि जल्दी से जल्दी यह समस्या हल हो और पर्यटकों की भीड़ एक बार फिर से यहां दिखे।
पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा के इंतजाम
रामगढ़ताल में बोटिंग शुरू करने के साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने पर भी जोर दिया जा रहा है। GDA और संबंधित फर्मों के बीच यह सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है कि झील के जल प्रदूषण को रोका जाए और पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे। इसके साथ ही, पर्यटकों की सुरक्षा के लिए लाइफ जैकेट, नाविकों की उपलब्धता, और आपातकालीन सहायता की सुविधाओं का भी इंतजाम किया जाएगा।
आगे की योजना और निर्णय का इंतजार
GDA का कहना है कि यदि ठेका प्राप्त करने वाली फर्म आगे नहीं आती है, तो वे इसे रद्द कर नए सिरे से निविदा मंगाने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में और समय लग सकता है, जिससे पर्यटकों को कुछ और समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। दूसरी ओर, यदि कोई नई फर्म इस ठेके के लिए तैयार होती है तो उम्मीद है कि आगामी समय में रामगढ़ताल में बोटिंग का संचालन फिर से शुरू हो सकेगा।
रामगढ़ताल बोटिंग को लेकर उत्पन्न इस विवाद ने पर्यटकों और स्थानीय व्यापारियों में निराशा जरूर पैदा की है, लेकिन GDA का प्रयास है कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकाला जाए।