Ghaziabad News: कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से तीन छात्राएं लापता, छह कर्मचारियों की नौकरी खतरे में

Ghaziabad News: कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से तीन छात्राएं लापता, छह कर्मचारियों की नौकरी खतरे में

Ghaziabad News: गाज़ियाबाद के नेहरू नगर स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़ने वाली तीन छात्राओं के लापता होने की जांच पूरी हो गई है। इस जांच में छह कर्मचारियों की लापरवाही साबित हुई है। अब इस जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा

इस घटना के बाद, शिक्षा विभाग ने छह कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है, जिनमें वार्डन भी शामिल हैं। इन कर्मचारियों की नौकरी भी खतरे में बताई जा रही है, क्योंकि सभी कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव के अनुसार, विद्यालय में 100 छात्राएं पंजीकृत हैं, जिनमें से 9 सितंबर को 85 छात्राएं उपस्थित थीं।

मुख्य वार्डन सरिता त्यागी छुट्टी पर थीं और कार्यवाहक चार्ज कल्पना सिंह के पास था। इसके अलावा, चौकीदार राहुल गौतम, पूर्णकालिक शिक्षक संजय यादव, रसोइया नीलम शर्मा और सहायक रसोइया सविता को भी नोटिस जारी किया गया है। इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था। समिति की जांच में यह पाया गया कि जिस दिन घटना हुई, उस दिन विद्यालय में तैनात कर्मचारियों की लापरवाही के कारण तीनों छात्राएं दीवार फांदकर भाग गई थीं। अब संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा का अधिकार

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के तहत चार विकास खंडों में चार आवासीय स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इनमें प्रत्येक स्कूल में 100 छात्राओं के रहने और पढ़ने की व्यवस्था है। इनमें से एक स्कूल मुकीमपुर (भोजपुर विकास खंड), दूसरा सलेह नगर (लोनी), तीसरा मुरादनगर नगर और चौथा नेहरू नगर (राजापुर विकास खंड) में स्थित है। सभी चार स्कूलों में इंटर तक की पढ़ाई की तैयारी चल रही है। स्कूलों का विस्तार कार्य अंतिम चरण में है।

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ड्रॉप-आउट छात्रों का Admission

कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूलों में केवल ड्रॉप-आउट छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर सर्वेक्षण के दौरान, शिक्षक ऐसे किशोरी लड़कियों का पता लगाते हैं जिनकी शिक्षा किसी कारणवश Interrupted हो गई है। ऐसे छात्रों को जो अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ चुके हैं, ड्रॉप-आउट माना जाता है और उन्हें इन स्कूलों में प्रवेश दिया जाता है। यहां उनकी रहने, भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा की व्यवस्था निःशुल्क की जाती है। इन स्कूलों में कक्षा 12 तक की शिक्षा प्रदान की जाती है।

घटना का सामाजिक प्रभाव

इस घटना ने विद्यालय के कर्मचारियों और प्रबंधन के प्रति गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लापरवाही का यह मामला न केवल बच्चों की सुरक्षा की समस्या को उजागर करता है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को भी बताता है। जब तीन छात्राएं बिना किसी सूचना के लापता हो जाती हैं, तो यह न केवल उनके परिवारों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक गंभीर चिंतन का विषय है।

बच्चों की सुरक्षा का महत्व

बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, खासकर तब जब वे ऐसे संस्थानों में हों, जहां उनकी शिक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी उन कर्मचारियों की होती है। स्कूलों में सुरक्षा प्रोटोकॉल और व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। यह अत्यंत आवश्यक है कि सभी कर्मचारियों को जिम्मेदारी का अहसास हो और वे अपनी ड्यूटी का सही तरीके से पालन करें।

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