Gorakhpur: त्योहारों में ट्रेन यात्रा करने वालों की बढ़ी मुश्किलें, प्रतीक्षा सूची की टिकटें भी हुईं बंद

Gorakhpur: त्योहारों में ट्रेन यात्रा करने वालों की बढ़ी मुश्किलें, प्रतीक्षा सूची की टिकटें भी हुईं बंद

Gorakhpur: त्योहारों का मौसम आते ही देशभर में अपने घर जाने वाले यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई है, खासकर उनके लिए जो ट्रेन से यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहारों के दौरान ट्रेनों में टिकटों की भारी कमी हो गई है। प्रतीक्षा सूची (वेटिंग लिस्ट) में टिकटें मिलना भी अब बंद हो चुकी हैं, जिससे यात्रियों को वैकल्पिक साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है।

दिवाली पर घर जाने के लिए टिकटों की मारामारी

दिल्ली में सॉफ्टवेयर इंजीनियर चंद्र भूषण इस बार अपने गोरखपुर स्थित घर पर दिवाली मनाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उनके और उनके परिवार के लिए ट्रेनों ने इस खुशी में एक बड़ी बाधा खड़ी कर दी है। उन्हें किसी भी ट्रेन में कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रतीक्षा सूची की टिकटें भी उपलब्ध नहीं हैं, जिससे वे पूरी तरह असमंजस में हैं कि अब क्या करें। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि अब उनकी उम्मीदें केवल निजी बसों पर टिकी हैं।

निजी बस ऑपरेटरों ने भी त्योहारों के दौरान किराए में भारी बढ़ोतरी कर दी है। प्रति यात्री दो से ढाई हजार रुपये में बुकिंग हो रही है। दिल्ली-गोरखपुर और दिल्ली-मुजफ्फरपुर के बीच रोजाना लगभग 150 निजी बसें चल रही हैं, जो गोरखपुर के नौसढ़ से दिल्ली, पंजाब, जयपुर, कोटा, पुणे और अहमदाबाद तक यात्रियों को पहुंचा रही हैं।

प्रवासी यात्रियों की बढ़ी चिंता

केवल चंद्र भूषण ही नहीं, बल्कि दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से छठ पूजा के लिए घर लौट रहे प्रवासी भी टिकट न मिलने की समस्या से जूझ रहे हैं। इस बार दिवाली 31 अक्टूबर को है, और लोग 25 अक्टूबर से ही घर लौटने की तैयारी में हैं। लेकिन रेलवे प्रशासन ने डोमिनगढ़ स्टेशन यार्ड रिमॉडलिंग के नाम पर 27 अक्टूबर तक लगभग 150 ट्रेनों के संचालन को प्रभावित किया है।

Gorakhpur: त्योहारों में ट्रेन यात्रा करने वालों की बढ़ी मुश्किलें, प्रतीक्षा सूची की टिकटें भी हुईं बंद

नियमित ट्रेनों के अलावा, इस रद्दीकरण में विशेष ट्रेनों का भी समावेश है। सबसे पहले तो रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है और कुछ के रूट में बदलाव किया गया है, और जो ट्रेनें चल रही हैं, उनमें पहले से ही कोई स्थान उपलब्ध नहीं है। नियमित ट्रेनों में ‘नो रूम’ (टिकट बुकिंग बंद) की स्थिति है, यानी प्रतीक्षा सूची की टिकटें भी नहीं मिल रही हैं। यहां तक कि विशेष ट्रेनों में भी अब कोई जगह नहीं बची है। इस स्थिति ने यात्रियों के लिए एक अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया है।

विशेषज्ञों की राय: स्थिति और बिगड़ने की संभावना

रेलवे विशेषज्ञों का कहना है कि 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलने वाली प्रमुख ट्रेनों जैसे 12556 गोरखधाम एक्सप्रेस में वातानुकूलित श्रेणी में कोई स्थान नहीं है। इसी तरह की स्थिति स्लीपर श्रेणी की भी है। दिल्ली से चलने वाली 12554 वैशाली एक्सप्रेस और 12566 बिहार संपर्क क्रांति जैसी ट्रेनों में भी यही हालात हैं।

इसके अलावा, लोकमान्य तिलक टर्मिनस से गोरखपुर आने वाली 22538 कुशीनगर एक्सप्रेस में भी 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक वातानुकूलित श्रेणियों में कोई जगह नहीं है। एलटीटी-गोरखपुर और अवध एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में भी पूरी तरह से सीटें बुक हो चुकी हैं। दिवाली के बाद छठ पूजा के दौरान हालात और भी बदतर हो सकते हैं। लोग पहले से ही विशेष ट्रेनों के इंतजार में हैं, लेकिन फिलहाल किसी नई ट्रेन की घोषणा नहीं की गई है।

बस ऑपरेटरों ने बढ़ाए किराए

जैसे-जैसे ट्रेनों में जगह कम होती जा रही है, वैसे-वैसे निजी बस ऑपरेटरों ने किराए में वृद्धि कर दी है। एक ओर जहां रेलवे यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बन रहा है, वहीं निजी बस सेवाओं ने अपने किराए में भारी बढ़ोतरी कर दी है। 150 निजी बसें प्रतिदिन दिल्ली-गोरखपुर और दिल्ली-मुजफ्फरपुर के बीच चल रही हैं, लेकिन इनका किराया भी सामान्य दिनों की तुलना में दोगुना हो गया है। यात्रियों को प्रति टिकट दो से ढाई हजार रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं।

छठ के दौरान और बढ़ेगी भीड़

दिवाली के बाद छठ पूजा का महापर्व आता है, जो बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान लाखों लोग अपने घरों की ओर लौटते हैं। ऐसे में दिवाली के बाद टिकटों की कमी और भी गंभीर हो जाएगी। रेलवे में पहले से ही विशेष ट्रेनों की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। लोग रेलवे प्रशासन से और अधिक विशेष ट्रेनें चलाने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि वे त्योहार के समय पर अपने घर पहुंच सकें।

यात्रियों की समस्याएं और रेलवे का समाधान

यात्रियों की बढ़ती समस्याओं के बावजूद रेलवे प्रशासन की ओर से कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। नियमित ट्रेनों में जगह नहीं होने के कारण यात्री वैकल्पिक साधनों की तलाश में हैं। निजी बस ऑपरेटरों ने इस मौके का फायदा उठाकर किराए में भारी वृद्धि कर दी है, जिससे यात्रियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।

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