Gorakhpur में दुर्गा पूजा का पर्व पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने के बाद, रविवार को श्रद्धालुओं ने उनकी मूर्तियों का जल समाधि (विसर्जन) करने के लिए तालाब पर पहुंचे। लेकिन इस श्रद्धा के पल में कुछ लोगों ने सीमा पार कर दी, जिससे वहां का दृश्य दुखदाई हो गया।
मूर्ति विसर्जन का दृश्य
जब श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की मूर्तियों को राप्ती नदी के किनारे बनाए गए कृत्रिम तालाबों में विसर्जित करना शुरू किया, तो वहां का माहौल भक्तिमय था। लेकिन जैसे ही मूर्तियों को पानी में डाला गया, लोग खुद को नियंत्रित नहीं कर पाए। मूर्तियों के विसर्जन के दौरान, श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे से कपड़े, गहने, नकद पैसे और अन्य पूजन सामग्री छीनने में कोई हिचक नहीं दिखाई।
विसर्जन के दौरान हुई अराजकता
विसर्जन स्थल पर कलश और पूजा सामग्री बिखरी हुई थी। श्रद्धालु मूर्तियों से निकलने वाले मलबे पर चढ़कर चलने लगे। जो कोई भी इस विसर्जन को देख रहा था, उसका दिल दुखी हो गया। कृत्रिम तालाब के पास के वातावरण में श्रद्धा की कमी और भक्ति की प्रतिस्थापन ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया। सुबह से महिलाएं, बच्चे और युवा मूर्तियों को किनारे खींचने के लिए जुटे रहे। कुछ लोग मूर्तियों से कपड़े उतार रहे थे, जबकि कुछ लकड़ी निकालने में लगे थे।
गहनों की लूट
कई महिलाएं मूर्तियों से गहनों को निकालने में व्यस्त थीं। घाट पर मूर्तियों और अन्य पूजा सामग्री की लूट का एक प्रतियोगिता चल रही थी। शाम चार बजे, नगर निगम के कर्मचारी सफाई में जुट गए। तालाब से लकड़ी और अन्य वस्तुएं जेसीबी के माध्यम से निकाली जा रही थीं। सफाई के दौरान निकाले गए सामान को एक तरफ रखा जा रहा था। लेकिन लुटेरों को रोकने के प्रयास असफल हो रहे थे। कुछ लोग सामान लेने के लिए cart लेकर आए थे।
गहनों की खोज में बच्चे
माता-पिता ने मूर्तियों पर सोने की नथ निकलने के लिए अपने बच्चों को पानी में कूदते देखा। राजू , जो मूर्तियों के पास पैसे खोज रहा था, ने कहा कि उसने दो घंटे में 115 रुपये निकाले। उसके दोस्त भी उसके साथ थे। यह दृश्य गोरखपुर में श्रद्धा और भक्ति के साथ जुड़ी हुई परंपरा की एक कड़वी तस्वीर प्रस्तुत कर रहा था।
मूर्ति विसर्जन के लिए व्यवस्था
रविवार को मूर्तियों के विसर्जन के लिए गोरखपुर में विभिन्न स्थानों पर व्यवस्थाएं की गई थीं। नगर निगम के आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल, अतिरिक्त आयुक्त दुर्गेश मिश्रा और अन्य अधिकारियों ने विसर्जन स्थलों का दौरा किया और व्यवस्थाओं की निगरानी की। विसर्जन स्थलों पर पीने के पानी, प्राथमिक चिकित्सा, सुरक्षा और शौचालयों की व्यवस्था की गई थी। इन स्थलों पर 1800 ट्यूब लाइटें भी लगाई गई थीं।
गणना के अनुसार विसर्जित मूर्तियाँ
नगर निगम के अनुसार, रविवार सुबह तक 620 देवी मूर्तियों का विसर्जन किया गया। 434 दुर्गा मूर्तियां एकला बांध पर पहुंचीं, 100 डोमिंगढ़ में और लगभग 85 महेसरा में विसर्जन के लिए पहुंचीं। मूर्तियों का विसर्जन रविवार की दोपहर से शुरू हुआ। रात 9 बजे तक, लगभग 400 दुर्गा मूर्तियां एकला बांध पर, 70 डोमिंगढ़ में और लगभग 65 महेसरा में विसर्जन के लिए पहुंच गईं। सभी पांच कृत्रिम तालाबों पर छह पॉकेलिन और छह जेसीबी तैनात किए गए थे।
समापन विचार
गोरखपुर में दुर्गा पूजा का यह पर्व श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, लेकिन मूर्तियों के विसर्जन के दौरान जो कुछ हुआ, उसने इस पर्व की गरिमा को क्षति पहुंचाई है। श्रद्धालुओं का यह कृत्य न केवल अनुचित था, बल्कि इसे देखकर इस पर्व की पवित्रता पर भी सवाल उठता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि पूजा का उद्देश्य केवल धार्मिक भावनाओं को प्रकट करना नहीं है, बल्कि हमें एकजुटता, समर्पण और आस्था के साथ अपनी परंपराओं का पालन करना चाहिए।
इस वर्ष, गोरखपुर में हुई घटना ने हमें यह सिखाया है कि हमें अपनी श्रद्धा को सही तरीके से प्रकट करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने त्योहारों को एक सकारात्मक और प्रेरणादायक तरीके से मनाएं।